कभी कभी मन इतना हताश हो जाता है
जिंदगी की चादर मई सिर्फ खामियाँ ही ढूंढता है
चलते हुए हर मुसाफिर से तुलना करता है
अपनी मरजी से अपने आप को खरोंचता है
मैं पूछती हूँ कुओं ?
किसने इसे इतना बलवान बनाया ?
किसने इसे तोलना का अधिकार दिया ?
अगर मन तुम्हारा है, तो इसे समझाओ
उत्साह इसे बनाना है, यह इसे बताओ
कमियां बताना ही तो दुनिया का नाम है
उनको बीच रस्ते मैं मोड़ देना मन का काम है
बुरे विचारोें की आंधी को इसे रोकना है
हर जीत तो होती रहेगी, लकिन भरोसा नहीं टूटना है
गिरने की चोटें जब तुम्हे बलवान बनाएगी
मन फिर से लहराएगा जोश और ताकद से